वर्षा वर्णन

warsha warnan

मान कवि

मान कवि

वर्षा वर्णन

मान कवि

और अधिकमान कवि

    आसाढ़ मास आयो अनूप, रचि उत्तर कंठल श्यामरूप।

    बद्दल चढ़त बज्जत सुवाइ, उल्हरिय सुपावस समय आइ॥

    चहुँओर ज़ोर चपला चमक्व, झल हलत तेज रवि सम झमक्व।

    घुरहरत घोर घण गुहिर घोष, पावत सुनिव संसार पोष॥

    केकी करंत गिरवर किंगार, सजि पंखरा छत्र नाचंत सार।

    महि मिलिय सयल सिरि में अद्भुत माल, बरसंत बुंद बड़-बड़ विशाल॥

    जल बहत ज़ोर खलहलत खाल, पयधार पतत दगगग प्रनाल।

    पप्पीह चीह पिउ-पिउ पुकार, भूरूह विहस्सि अट्टार भार॥

    धोवंत सिहरि घन धवलधार, पुहवी सुकीन जल-थल प्रचार।

    नीलांणी धर वरसंत नीर, चितरंग आनि मनु पहरी चीर॥

    महिथल सुरग उपजे ममोल, अति अरुन अंग कोमल अमोल।

    बगपंति श्याम बद्दल बिहार, हिय मध्य पहरि मनु मुत्ति हार॥

    सब हलकि चली सलिता सँपूर, बज्जत बारि लग्गत विधूर।

    उछलंत छील ऊघल अपार, पथ थकित पथिक को लहय पार॥

    निय्यमिक बलन लगत नाव, तट उपट बहत अति ज़ोर ताव।

    भोंरह परंत लागंत भीर, तरुवर उखारिलै चलिय तीर॥

    निरषंत नीर नीरधिन माय, छवि चंद सूर राखी सुछाय।

    हलहलत भरित सरवर हिलोर, रव समझि परंत भेक रोर॥

    डहडहत हरित डंबर डहक्क, कोकिल करंत उपवन कुहक्क।

    मालती कुंद केतकी मूल, फूले सुवृक्ष चंपक सफूल॥

    गिरि भेदि शृंग किय गलम गात निपररण झरत झरहरनि घात।

    गहराय पत्त गहबर गहक्क, मधुकर सुगुंज तरुवर महक्क॥

    टपकंल बुंद तरु पव्व डाल, मंडव सुकीन द्रुम वल्लि माल।

    बग टग लगाय पावस बइट्ठ, दारा सु बकी पतिव्रता दिट्ठ॥

    यामिनी तमस अति च्यारि याम, करि कोप काय बाधंत काम।

    धनवंत लोक निज धवल धाम. बरसंत मेघ विलसंत वाम॥

    जगमगति निशा खद्योत जोति। हच्छे सुहच्छनन मुद्धि होति।

    पर मुग्ध लब्ध पंथक प्रमोद, वेताल करत बन-घन विनोद॥

    झर मंडि इंद तम रह्यो झुक्कि, धाराधर पर वद्दल सु धुक्कि।

    हुंकार नाद बन सिंह हुक्कि, ढूँढत भक्ष निशिचार ढुक्कि॥

    बोलंत झिल्लि इक सांस बैन, मानिनि वियोग मन मथत मैन।

    दीसंत मग्ग दामिनि दमक्क, चितचोर मष्त उपजे चमक्क॥

    सारंग करत गायन सुजान, रीझंत जेह सुनि राय राण।

    मल्हार घटत माचंत मेह, नर नारि धित्त बाधंत नेह॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : राजविलास (पृष्ठ 8)
    • संपादक : भगवानदीन
    • रचनाकार : मान कवि
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, काशी
    • संस्करण : 1912

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए