जहाँ दुनिया कीड़े की तरह रेंग रही है

jahan duniya kiDe ki tarah reng rahi hai

महेश आलोक

महेश आलोक

जहाँ दुनिया कीड़े की तरह रेंग रही है

महेश आलोक

और अधिकमहेश आलोक

    मैं सड़क से कहता हूँ चलो अपने पैर के छाले दिखाओ

    और उसके पैरों में गड़े कँकड़ बाहर करते हुए उसके आँसू पोछता हूँ

    पेड़ों से कहता हूँ जहाँ से तुम्हे काटा गया है वहाँ ख़ून गाढ़ा होकर चिपक गया है

    चिल्लाना मत मैं अपने हाथों की गर्मी से उसे पिघला रहा हूँ

    ताकि साफ़ कर सकूँ और मरहम-पट्टी कर उसे जीवन दे सकूँ

    चिड़ियों को शिकारी से बचते हुए उड़ने की सलाह देता हूँ

    उनके बच्चों को अपने शब्दों के घोंसले में सुलाता हूँ

    हवा को बादलों के सिर का मुकुट बनाता हूँ और उनके पैरों में

    पानी के घुँघरू बाँधता हूँ कि

    मिट्टी के कान जो बमों की आवाज़ से बहरे होने की कगार पर हैं

    मधुर आवाज़ से सुकून पा सकें

    मछलियों की आँखों में समुद्र को गिरने से बचाता हूँ कि वे खुली आँखों से देख सकें

    अपनी रंग-बिरंगी दुनिया पर मनुष्य द्वारा किए गए अत्याचार

    और बचने का रास्ता ढूँढ़ सकें

    समुद्र के आँख के आँसू पोंछने का तरीक़ा सिखाता हूँ उन्हें

    खपरैल और मिट्टी वाले घरों के पसीने में गुलाब की ख़ुशबू मिलाता हूँ

    और बताता हूँ कि गुलाब केवल ख़ुशबू ही नहीं देते

    ज़रूरत पड़ने पर आग की तरह दहकते भी हैं

    आईने को अपने भीतर झाँकने की सलाह देता हूँ कि तुम रूपहीन हो

    कुरूपता पर हँसो मत

    इससे भी तुम्हारी इज़्ज़त में इज़ाफ़ा होता है

    कलाकार से कहता हूँ कि इन पत्थरों को इस तरह तराशो कि तुम्हारे प्रिय का चेहरा

    किसी देवी की प्रतिमा में झलकने लगे कि स्त्री का सम्मान बचा रहे

    बची रहे उसकी सगुण भूमिका जीवन के उत्सव में

    मैं गेहूँ और नमक से कहता हूँ मेरी कविता की रेलगाड़ी में

    सपने की बोरियों में छिपकर यात्रा करो कि तानाशाह की नज़र से बचाकर

    तुम्हे उतार सकूँ उन बस्तियों में जहाँ सूरज को देखते ही लोग अंधे हो जाते हैं

    मैं जानता हूँ चंद्रमा में इतनी ताक़त है कि वह सूरज को अंधा कर दे

    यही सोचते हुए बस्ती की सड़क के

    पैरों के गहरे घाव के ठीक होने तक प्रतीक्षा करता हूँ

    और चंद्रमा को बिछा देता हूँ क़ालीन की तरह

    वहाँ—जहाँ दुनिया कीड़े की तरह रेंग रही है

    स्रोत :
    • रचनाकार : महेश आलोक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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