सत्यं शिवं सुंदरम्

satyan shiwan sundram

रामविलास शर्मा

रामविलास शर्मा

सत्यं शिवं सुंदरम्

रामविलास शर्मा

और अधिकरामविलास शर्मा

    हाथी घोड़ा पालकी,

    जै कन्हैया लाल की।

    हिंदू हिंदूस्तान की

    जै हिटलर भगवान् की।

    जिन्ना, पाकिस्तान की।

    टोजो और जापान की।

    बोलो वंदे मातरम्!

    सत्यं शिवं सुंदरम्।

    हिंदूस्तान हमारा है,

    प्राणों से भी प्यारा है।

    इस की रक्षा कौन करे?

    सेंत-मेंत में कौन मरे?

    पाकिस्तान हमारा है,

    प्राणों से भी प्यारा है।

    इस की रक्षा कौन करे?

    बैठो हाथ पै हाथ धरे!

    गिरने दो जापानी बम!

    सत्यं शिवं सुंदरम्।

    शुद्ध कला के पारखी,

    कहते हैं उस पार की।

    इस दुनिया को कौन कहे?

    भव—सागर में कौन बहे?

    जै हो राधारानी की

    या जिस ने मनमानी की

    राधा या अनुराधा से,

    छिप कर अपने दादा से!

    कैसी बढ़िया चाल की,

    बलिहारी गोपाल की!

    उस के भक्तों में से हम।

    सत्यं शिवं सुंदरम्।

    जै हो सदा बहार की,

    शायर या ऐयार की।

    तुरबत में भी आहट से,

    उठ कर बैठ गया झट से!

    गुल और बुलबुल की औलाद,

    करता रहता है फ़रियाद।

    धीमी-धीमी सुर में नाद,

    इनक़लाब ज़िंदाबाद!

    ग़म से भर आता है दिल!

    दिल वह भी शायर का दिल

    जिस में शुद्ध भरा है ग़म!

    सत्यं शिवं सुंदरम्।

    हिंदी हम चालीस करोड़,

    क्यों बैठे हैं साहस छोड़?

    देश हमारा हिंदुस्तान,

    लाखों ही मज़दूर-किसान।

    इस धरती पर बसने वाले

    उस के हित पर मिटने वाले

    क्या भागेंगे ताबड़तोड़,

    हिंदी हम चालीस करोड़?

    यह आज़ादी का मैदान,

    जीतेंगे मज़दूर-किसान।

    एक यही है राह सुगम

    सत्यं शिवं सुंदरम्।

    आज बढ़ेंगे साथ क़दम

    निश्चय विजयी होंगे हम

    गिरने दो जापानी बम।

    बोलो वंदे मातरम्!

    स्रोत :
    • पुस्तक : तार सप्तक (पृष्ठ 304)
    • संपादक : अज्ञेय
    • रचनाकार : रामविलास शर्मा
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2011

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