नींद

neend

राहुल राजेश

और अधिकराहुल राजेश

     

    एक

    मिहनत नींद की माँ होती है

    जैसे बच्चे को माँ की गोद में 
    झट से नींद आ जाती है

    नींद को भी
    मिहनत की गोद में 
    झट से नींद आ जाती है!

    दो

    आँखें नींद का पालना है
    नींद सपनों की सेज 

    नींद में ही सपने आते हैं
    और सपने सोने नहीं देते

    साँसों के सफ़र में
    नींद देह की सराय होती है!

    तीन

    नींद में समय 
    सबसे तेज़ दौड़ता है

    पाँच मिनट यानी
    सिर्फ़ तीन सौ सेकेंड का आलस 

    कब तीन हज़ार सेकेंड की 
    ख़ता में बदल जाए

    ख़ुद नींद को भी नहीं मालूम!

    चार

    भूखे पेट नींद नहीं आती

    लेकिन जब आँखों में
    नींद की भूख हो तो 

    पेट भी भूखे पेट सो जाता है

    नींद हर चीज़ को
    तकिए में बदल देती है!

    पाँच

    बच्चों से हम उनका बचपन 
    बाद में छीनते हैं

    हम पहले उनसे 
    उनकी नींद छीन लेते हैं

    बिस्तर से लेकर
    बाथरूम तक 

    स्कूल बस से लेकर 
    क्लासरूम तक

    और टिफ़िन से लेकर
    होमवर्क तक

    नींद उनकी आँखों में
    पहली और आख़िरी ख़्वाहिश बनकर
    तैरती रहती है!

    छह

    नसीब में सब कुछ हो
    पर नींद न हो तो

    बड़े-बड़े नसीब वालों को भी
    अपना नसीब ख़राब लगने लगता है

    सुख कई चीज़ों का
    सत्यानाश कर देता है!

    सात

    बड़ी-बड़ी व्याधियों से भी बड़ी है
    अनिद्रा की व्याधि

    इससे भी बड़ा है
    इसके उपचार का कारोबार

    इससे भी बड़े-बड़े हैं
    इसके ख़रीदार!

    आठ

    मीठी नींद मिल जाए
    नींद पूरी हो जाए
    तो लगता है
    कितने दिनों बाद मुस्कुराकर जागा!

    नींद पूरी न हो
    तो लगता है
    कितने दिनों से सोया ही नहीं!

    जैसे मीठी नींद 
    आँखों में चमक बनकर 
    दिन भर तैरती रहती है

    वैसे ही कच्ची नींद 
    आँखों में 
    'चोखेर बाली' बनकर
    सुबह से रात तक गड़ती रहती है

    और दोपहर की नींद की तो
    बात ही निराली है

    'भातेर घूम' न हो तो
    पूरा बंगाल बौरा जाए!

    नौ

    दुरुस्त हाज़मे का सारा श्रेय
    श्रम को नहीं दिया जाना चाहिए इस पर नींद का भी
    उतना ही हक़ है

    नींद सिर्फ़ आँखों की रौशनी नहीं,
    आँतों की उम्र भी बढ़ाती है!

    दस

    जैसे लोरियाँ 
    नींद को निमंत्रण हैं 

    थपकियाँ
    नींद की लोरियाँ हैं

    झपकियाँ
    नींद के औचक चुंबन!

    बुढ़ापे की नींद की कई कथाएँ
    सुनने में आती हैं

    पर एक बात तो तय है

    हर कथा में
    आरंभ से पहले
    उपसंहार हो जाता है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : राहुल राजेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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