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प्रेमगीत कोरोनाक छाँहमे

premagit koronak chhanhame

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

प्रेमगीत कोरोनाक छाँहमे

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

और अधिकधीरेन्द्र प्रेमर्षि

    मजरल आमक एहि मौसममे हम छी भेल बबूर प्रिये

    प्रेमसँ बढ़ि जेँ प्रेम करै छी तेँ छी अहाँसँ दूर प्रिये

    रहू सोन्हओने मन-मटकूरी प्रेमक मदिरा खूब पियब

    ताबे सुख-संन्यास जियाबी गिरहस्थीमे तखन जियब

    सौँसे कोला अछि अहीँके तैयो बन्हबी धूर प्रिये

    प्रेमसँ बढ़ि जेँ प्रेम करै छी तेँ छी अहाँसँ दूर प्रिये

    निकट भेलासँ विकट हुए ने, जीवन-बुझब जरूरी छै

    पते चलत नै कतऽ भोँकाएत हाथे सबहक छूरी छै

    अन्हार घर सौँसे छै साँपे बन्द करी सब भूर प्रिये

    प्रेमसँ बढ़ि जेँ प्रेम करै छी तेँ छी अहाँसँ दूर प्रिये

    विरहक एहि बर्बर बेलामे नवका एक व्यापार करी

    मिलनक दुश्मनसँ लड़ि एसगर संसारक उपकार करी

    अहाँ छी हियमे तेँ बस लिलसा जिनगीसँ भरपूर प्रिये

    प्रेमसँ बढ़ि जेँ प्रेम करै छी तेँ छी अहाँसँ दूर प्रिये

    स्रोत :
    • पुस्तक : ई-मिथिला
    • संपादक : बालमुकुन्द
    • रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
    • संस्करण : 2025

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