रात में छूट गया हारमोनियम

raat mein chhoot gaya harmonium

उदय प्रकाश

उदय प्रकाश

रात में छूट गया हारमोनियम

उदय प्रकाश

और अधिकउदय प्रकाश

    मैं हारमोनियम रात के भीतर बजा रहा था

    गाना जो था वह अँधेरे में इतनी दूर तक जाता था

    कि मैं देख नहीं पाता था

    फिर एक पतली-सी दरार मुझे दिखी

    मैं उसमें घुस गया

    और अँधेरे की दो परतों के बीच नींद में डूबे पानी जैसा

    दूर तक दौड़ने लगा

    वहाँ बीस साल से एक लड़की थी जो बिना कभी दिखे

    सोती जा रही थी

    वह जागी तो नहीं लकिन नींद में ही हँसी

    अँधेरे में गाना था और पानी जैसा जो बह रहा था

    वह मैं था

    फिर तो मैं भी हँसने लगा रात में ही

    अँधेरे में छुपा हुआ

    एक मोटा अधेड़ उम्र का आदमी

    साईं बाबा की फ़ोटो के नीचे पिस्ता खा रहा था

    उसने बंदूक़ से मुझे डराया

    यों आँखें फाड़कर और मुँह को यूँ-यूँ करके

    वह तो बाप निकला लड़की का, जो ग़ुस्से में था

    और सो भी नहीं रहा था बीस साल से

    लड़की के सपनों की पहरेदारी में

    मैं क्या करता? धप्प् से कूदकर बाहर निकल आया

    और उजाले में डरावने आदमी से नमस्ते करने लगा

    लेकिन मेरा हारमोनियम तो

    रात में ही रह गया था, बहुत पीछे

    और वह बज रहा था

    और लड़की हँसे क्यों जा रही थी

    यह कहना मुश्किल था।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रात में हारमोनियम (पृष्ठ 100)
    • रचनाकार : उदय प्रकाश
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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