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मातृभाषा-प्रेम

matribhasha prem

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

मातृभाषा-प्रेम

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

और अधिकधीरेन्द्र प्रेमर्षि

    मोन कनैए दहोबहो

    लोक बुझैए महोमहो

    हरियर पाँखि लाल ठोरसँ

    नाचि-गाबिकऽ व्यथा कहैछी— पट्टू सीताराम कहो!

    देश दुनिया सभ हमरा लए अपने गामक पिँजड़ा अइ

    नारि-पुरुष नै बूझए किछुओ मानैत हमरा हिजड़ा अइ

    कहि-कहिकऽ पुष्टइ सदति

    खुआ लाल मेरचाइ कहैए— पट्टू सीताराम कहो!

    गिरहस्थीमे रहियो कऽ हम बनल सदति संन्यासी छी

    सभकेँ परसैत-परसैत हम भनसे घरमे उपवासी छी

    हमर गीत सभ गेल निखत्तर

    टहङ्कारसँ उएह गबैए— पट्टू सीताराम कहो!

    गुदगरहा गादी फरमाबय, आजुक यैह जनवाद छियै

    मुहमे लगा गढ़निगर जाबी, कहय अहाँ आजाद छियै

    शासनकेर सौतिनियाँ सड़सी

    जीह पकडि़कऽ उकसाबैए— पट्टू सीताराम कहो!

    स्रोत :
    • पुस्तक : ई-मिथिला
    • संपादक : बालमुकुन्द
    • रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
    • संस्करण : 2025

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