कौन परेशान होता है

kaun pareshan hota hai

लाल्टू

लाल्टू

कौन परेशान होता है

लाल्टू

और अधिकलाल्टू

    मैंने सुनी है हवा की परेशानी साँय-साँय

    शुक्ल पक्ष का पहला चाँद परेशान दिखता है

    इधर मैं उधर तुम अँगड़ाइयाँ लेते हैं

    दूर से एक दूसरे को पुकारते हैं

    आज परेशानी के ये लफ़्ज़ लिखने हैं

    जब एक नया साल आने को है

    हवाएँ बह चली हैं चारों ओर से

    हम ढूँढ़ रहे परेशानी के स्रोत और सबब साथ-साथ

    जानता हूँ कि हालात जल्दी नहीं बदलेंगे

    और ये लम्हे

    हमारे साथ रहेंगे जैसे हवा रहती है बदन के साथ

    सचमुच आदत हो गई है कि

    ज़िंदगी ऐसे ही जंग-मार-काट के साथ गुज़रेगी

    इन हालात में हम चाँद देखते हैं

    बाँटते हैं एक दूसरे को हवा के बदन छूने का अहसास

    जरनल करनल एरीया कमांडर सभी दंग हैं

    कि कैसे अनबुझ उठती गिरती हमारी साँस

    हालाँकि कोशिश चल रही कि ख़त्म हो जाए हर प्राण

    शुक्ल पक्ष का पहला चाँद परेशान दिखता है

    इधर मैं उधर तुम अँगड़ाइयाँ लेते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : लाल्टू
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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