चैनल पर रैडिकल

channel par raiDikal

देवी प्रसाद मिश्र

देवी प्रसाद मिश्र

चैनल पर रैडिकल

देवी प्रसाद मिश्र

और अधिकदेवी प्रसाद मिश्र

    झारखंड के जंगलों जैसी दाढ़ी वाले एंकर को आप

    इस तरह भी पहचान सकते हैं कि वह महादेवी वर्मा जैसा

    चश्मा लगाए रहता था—आप कह सकते हैं कि वह छायावादी लगता था

    वैसा ही रोमांटिक वैसा ही आल बाल जाल वैसा ही केश कुंचित भाल

    इलाचंद्र जोशी के छोटे भाई जैसा

    मृणाल सेन के सबसे छोटे भाई जैसा

    और युवा आंबेडकर के बड़े भाई जैसा

    चिट फंड वाले टी.वी. चैनल में नौकरी करते हुए उसने भारतीय राज्य को

    बदलने का सपना देखा—यह उसकी ऐतिहासिक भूमिका थी मतलब कि आप

    पाँच छह लाख रुपए महीना लेते रहें

    नव नात्सीवादी प्रणाम करते रहें और नक्सली राज्य बनाने का सपना देखते

    रहें... तो यह उसकी दृढ़ता की व्याख्या थी

    तो जैसा कि उसके बारे में कहा गया कि उसके

    एक हाथ में कैपिटल थी और दूसरे हाथ में दास कैपिटल

    लेकिन बात को यहीं ख़त्म नहीं मान लिया गया कहा गया कि

    दास कैपिटल का मायने है कैपिटल का दास मतलब कि

    रैडिकल इसलिए हैं कि बाज़ार में

    एंकर विद डिफ़रेंस का हल्ला बना रहे

    आप जानना चाहते होंगे कि मेरी उसके बारे में क्या राय है

    तो मैं कहूँगा कि वह अर्णव और प्रणव से तो बेहतर था वह नैतिकता का पारसी

    थिएटर था और चैनलों के माध्यम से क्रांति का वह सबसे बड़ा आख़िरी प्रयत्न

    था और... और क्या कहा जाए

    उसने किसी की परवाह नहीं की—

    को निरंतर कहने की भी नहीं

    उसने शांति को सांति कहा ज़ोर को

    पूरा जोर लगाकर जोर

    शरच्चंद्र के एक डॉक्टर पात्र की तरह

    क्षयग्रस्त मनुष्यता को ठीक करने

    वह फिर आएगा किसी चैनल पर

    बदलाव का गोपनीय कार्यभार लेकर

    डेढ़ करोड़ के पैकेज पर

    तब तक आप देव डी का विस्तृत अधरूपतन देखिए

    और रंग दे बसंती का बॉलीवुडीय विद्रोह—

    रेड कॉरीडोर में बिछी लैंडमाइनों की

    भाँय भाँय के बैकड्राप में

    स्रोत :
    • रचनाकार : देवी प्रसाद मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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