मैं और तुम

main aur tum

कांतानाथ पांडेय 'चोंच'

और अधिककांतानाथ पांडेय 'चोंच'

    मैं महा मरुस्थल मारवाड़,

    तुम शिमला और मंसूरी।

    मैं महुए का ठर्रा केवल,

    तुम हो शराब अंगूरी।

    तुम फ़्रेंच और मैं रूसी,

    तुम हो लेमोनेड, मैं जूसी।

    मैं बिना तेल की हूँ मसाल,

    तुम हो बिजली का लट्टू।

    तुम लेटेस्ट मॉडल फ़ोर्ड कार,

    मैं सड़ियल अड़ियल टट्टू।

    तुम मैजिस्ट्रेट, मैं हूँ रईस!

    मैं हूँ पब्लिक, तुम हो पुलीस।

    मैं हूँ घोंघा घनघोर प्रिये!

    तुम मंजुल मुक्ता-माला।

    मैं हूँ चोखा चौपदा देवि!

    तुम बच्चन की ‘मधुशाला’।

    तुम हो गोरी, मैं हब्शी!

    तुम हो बिस्कुट, मैं लप्सी।

    तुम टॉकी सिनेमा हो सुंदर,

    मैं हूँ तुरही का पोंपा।

    तुम हो कोयल की स्वर-लहरी,

    मैं भेलपुर का मोंपा।

    मैं कक्षा तुम मॉनीटर।

    मैं पाइप, तुम हो मीटर।

    तुम गुपचुप रसगुल्ला सफ़ेद,

    मैं रेवड़ी और अनरसा।

    तुम शानदार पिस्तौल प्रिये!

    मैं जीर्ण फ़ावड़ा फरसा।

    तुम वैकेंसी, मैं कैंडीडेट।

    मैं हूँ पोंगा, तुम अप-टु-डेट।

    मैं रजपूती साफा भरकम,

    तुम टोपी दिव्य दुपल्ली।

    मैं हूँ खोजवाँ का गुड़हट्टा,

    तुम खरी कचौड़ी गल्ली।

    मैं कॉटेज, तुम हो कैसिल।

    मैं हैंडप्रेस, तुम ट्रेडिल।

    तुम सजी लखनवी ‘सुधा’ सरस,

    मैं हूँ पटने का ‘योगी’।

    तुम क्षीण पारसी बाला हो,

    मैं स्थूल सेठ रस्तोगी।

    तुम हो बाबर, मैं साँगा।

    मैं हूँ एक्का, तुम ताँगा।

    मैं विधवाश्रम का हूँ मंत्री,

    तुम हो विवाह-विज्ञापन।

    मैं बैठा-ठाला हूँ एम.ए.,

    तुम दस रुपए की ‘ट्यूशन’।

    तुम ‘बेंत’ और मैं ‘सोंटा’।

    तुम ‘जरी’ और मैं ‘गोटा’।

    तुम ठुकराती हो बार-बार,

    करती हो क्यों अवहेला।

    मैं हृत्तंत्री का तार प्रिये,

    तुम तन्मयता की बेला।

    तुम ब्रजभाषा, मैं डिंगल।

    तुम रीतिकाव्य, मैं पिंगल।

    मैं पड़ा तुम्हारे हूँ पीछे,

    अब लेकर लंबी लाठी।

    तुम रामायण की हो टीका,

    मैं राम नरेश त्रिपाठी।

    मैं क्रोड़-पत्र, तुम अलबम।

    मैं हूँ सूरन, तुम सलजम।

    तुम अग्रलेख संपादकीय,

    मैं केवल अंतिम पन्ना।

    तुम दिव्य दुग्ध की धवलधार,

    मैं फटा-पुराना छन्ना।

    तुम फ़्लूट और मैं तासा,

    तुम होटल हो, मैं ‘बासा’।

    तुम हो मिस्ट्रेस मेरे घर की।

    मैं हूँ केवल चपरासी।

    तुम हो छलना ललना ललाम,

    मैं बेवक़ूफ़ विश्वासी।

    तुम हो ‘मिस’, मैं हूँ डंडी।

    मैं हूँ कुर्ता, तुम बंडी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पानी-पाँडे (पृष्ठ 6)
    • रचनाकार : कांतानाथ पांडेय 'चोंच'
    • प्रकाशन : चौधरी एंड संस
    • संस्करण : 1958

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