समतल

samtal

आदर्श भूषण

और अधिकआदर्श भूषण

    समुद्र के पानी में आया नमक

    रात की बही हुई उदासी है

    नदियाँ मीठी इसलिए हैं

    क्योंकि उन्हें तटों के कंधों का सहारा है

    सुख का गंतव्य दुःख में विलय है

    जैसे नदियाँ अपनी मिठास

    समुद्र के खारेपन में मिलने से नहीं बचा सकतीं

    समुद्र कहीं किसी कोने में जाकर नहीं गिरता

    पृथ्वी का कोई कोना नहीं है

    ऐसा पाइथागोरस कहता था

    पृथ्वी का कोई हिस्सा

    ऊपर है

    नीचे

    समतल एक भ्रम है

    जीवन समतल की तरह भले दिखता हो

    होता नहीं है

    हम अपना पूरा जीवन

    एक वक्र रेखा को सरल कहकर और

    एक वृत्त को बिंदु मानकर गुज़ार देते हैं

    समय कभी भी सरल रेखा में नहीं चलता

    भूख की रात सबसे लंबी होती है और

    ग्लानि का दिन सबसे गर्म

    बिछोह की शाम सबसे ज़्यादा कोंचती है और

    बेगारी की सुबह सबसे ज़्यादा चुभती है

    समय अपना धर्म कभी नहीं भूलता

    ईश्वर और धर्म दो अलग रास्ते हैं

    धर्म का ज्ञान ईश्वरीय नहीं और

    ईश्वर धार्मिक कभी नहीं हो सकता।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आदर्श भूषण
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए