परिभाषित के दरबार में

paribhashit ke darbar mein

आर. चेतनक्रांति

आर. चेतनक्रांति

परिभाषित के दरबार में

आर. चेतनक्रांति

और अधिकआर. चेतनक्रांति

    सभी जाग्रत जीव

    जिनकी रगों के घोड़े

    माँद पर बँधे ध्यानरत खाते होंगे संतुलित-पुष्ट घास

    विचार करेंगे

    उन सभी पशुओं की नियति पर

    जिनके खुर नहीं आते उनके वश में

    वे ईश्वर को सलाह देंगे

    कि ये बैल, ये भैंस, ये कुत्ता, ये बिल्ली

    ये चूहा, ये हिरन, ये लोमड़ी

    ये सब दरअसल जंगल के जानवर हैं

    कि इनके विकास के लिए कोई विज्ञान रचा जाए

    वे सब—

    परिस्थितियाँ और मन:स्थितियाँ होंगी जिनकी चेरी

    जिन्होंने किए होंगे सारे कोर्स

    और शानदार ढंग से पाई होगी शिक्षा

    कि कैसे रखें क़ाबू में कच्ची उर्जाओं को

    कि कैसे निबटें ठाँठे मारती इस पशु ताक़त से

    जो हुक्म देती भी नहीं, हुक्म लेती भी नहीं

    इसे उत्पादन में कैसे जोतें

    वे सब एक दिन वहाँ बैठेंगे सिर जोड़कर

    और ईश्वर को सलाह देंगे

    कि थोड़ी छूट देकर देखें

    कि विज्ञान यह भी कहता है

    कि थोड़ी आज़ादी दो तो जानवर आसान हो जाता है

    एक दिन

    जब समाज में रहने की शर्त

    सिर्फ़ हाज़िरजवाबी कह दी जाएगी

    अख़बारों और टी.वी. के सारे नायक

    बादलों की तरह घिर आएँगे

    और चिड़ियाघर के सब जानवरों को

    रेल की नंगी पटरी पर दौड़ाएँगे

    और असहमतों, हिजड़ों, समलैंगिकों और बिलों में रहने वाले कीड़ों को

    खींच-खींचकर बाहर निकालेंगे

    और आख़िरी बयान माँगेंगे

    कहेंगे कि चुप नहीं रहना

    कितनी भी झूठी हो, मगर भाषा में कहना

    ऐसी कोई बात जिससे होड़ निखरे

    जान आए मैदान में

    —अपनी सबसे प्रेरक ईर्ष्या के बारे में बताओ

    —अपना सबसे हसीन चुटकुला सुनाओ

    हवा में घुला हुआ गैंडा

    एक दिन उतरेगा रेत पर

    और वोटरलिस्ट से नाम काटता जाएगा

    पागलों के, भिखारियों के, और पुलों के नीचे रहने वाले असंख्यकों के

    और जाकर बताएगा ईश्वर को

    कि सरकारें चुनने का हक़ भी उसी को

    जो बीचोंबीच रह सकता हो

    गुम हो जाता हो

    अपनी ही नसों के जंगल में

    डूब जाता हो अपने ही ख़ून के ज्वार में

    एक दिन वे बैठेंगे वहाँ और दुनिया की सफ़ाई पर विचार करेंगे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : शोकनाच (पृष्ठ 11)
    • रचनाकार : आर. चेतनक्रांति
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए