वो मजीद भाई का बयान नहीं था

Wo Majeed Bhai Ka Bayan Nahin Tha

सौम्य मालवीय

सौम्य मालवीय

वो मजीद भाई का बयान नहीं था

सौम्य मालवीय

और अधिकसौम्य मालवीय

    मजीद भाई

    ऑटो नहीं बैलगाड़ी चलाते हैं

    कालूपुर से बोडकदेव पहुँचने में

    एक सदी लगती है उन्हें

    मानो कोई अंतर्ग्रहीय यात्रा हो...

    हो भी शायद

    पीछे बैठी सवारी

    हवा से कटी-फटी उनकी बातें

    जिन्हें वे हल्का तिरछे होकर कहते हैं

    या तो हूँ-हूँ कर सुनती है

    या झिड़क भी देती है कभी कि

    आगे देखकर चलाओ

    पर उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता

    बोलते ही जाते हैं घुरघुराते ऑटो के साथ लय बिठाते

    एक बार यूँ ही कहते-कहते याकि बकते-बकते कुछ बोले मुझसे

    शब्दों की कतरनें जोड़ीं तो सुना मैंने

    देश का पहला वर्ल्ड हेरिटेज शहर है अहमदाबाद

    आइए घुमा दें सारे हेरिटेज इलाक़े,

    उधर ही हैं जिधर रहते हैं...हम...लोग

    एकबारगी मुझे लगा कह रहे हों, जिधर रहते हैं...हम...’हेरिटेज’...लोग

    पर वे ऐसा नहीं कह रहे थे

    पुराने, कालिख से नहाए, गांधी ब्रिज पर सरकते ऑटो में

    बीते दौर के गीत गुनगुनाते, कभी दाँतों कभी होठों से बीड़ी दबाते

    और बीच में बीच ऊपर लगे आशा पारेख के धुंधलाए चित्र को एडजस्ट करते हुए

    उन्हें यह कहने की ज़रूरत नहीं थी

    यक़ीनन ‘हेरिटेज’ वाला वो मेरा सुना गया हिस्सा

    मजीद भाई का बयान नहीं था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सौम्य मालवीय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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