दो बारिशों के बीच

do barishon ke beech

राजेंद्र धोड़पकर

राजेंद्र धोड़पकर

दो बारिशों के बीच

राजेंद्र धोड़पकर

और अधिकराजेंद्र धोड़पकर

    समय को नापने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है

    कि दो बारिश के मौसमों के बीच की दूरी को नापा जाए

    दो सर्दियों में या दो गर्मियों के मौसम

    भी ठीक हैं इसके लिए

    वैसे समय को नापने के कुछ ख़राब तरीक़े भी हैं

    मसलन—उम्र

    दो बारिशों के बीच कोई जगह ऐसी होती है

    जहाँ पिछली सारी बारिशों की स्मृतियों

    के अर्थ बदल जाते हैं

    उस जगह पिछली बारिश में उगी झाड़ियों

    पर फूल खिलने लगते हैं

    दो बारिशों के बीच अक्सर होता है

    एक धूप का टुकड़ा कहीं

    हमारे सपनों का रंग बदलता हुआ

    जैसे गेहूँ पकता है धूप का सुनहरा रंग

    सोखता हुआ

    जहाँ गेहूँ पकता है दो बारिशों के बीच

    ठीक उसके बग़ल में एक नदी बहती है

    गहरे नीले रंग का पानी लिए पारदर्शी

    नदी में होता है पानी पिछली बारिश का

    अगली बारिश का इंतज़ार करता हुआ

    इस वक़्त तक पिछली बारिश की थकान और उदासी

    पानी की तली पर स्पष्ट दिखाई देने लगती है

    इसी लिए मैं कहता हूँ कि एक और बारिश होती है

    दो बारिशों के बीच

    लगातार होती इस बारिश को देखा जा सकता है

    यदि यकायक तुम खोलो कोई प्रिय किताब

    पसीने से गंधाते किसी दोस्त के साथ बीड़ी पियो

    किताब के शब्दों और तुम्हारे बीच

    दोस्त और तुम्हारे बीच

    इस बारिश की आवाज़ सुनाई देगी

    दो बारिशों के बीच अनंत कोलाहल है वहीं

    कुछ चुपचाप क्षण दुबके रहते हैं घास में

    इन्हें ध्यान और सावधानी से छुओ

    इन्हीं सुनसान जगहों पर कई पक्षियों के शव

    मिलते हैं कितने उज़डे मकान

    दो बारिशों के बीच कितना बड़ा हो जाता है आदमी

    यों दो बारिशों के बीच इतनी-सी जगह

    कि एक छोटी-सी कविता रख दें

    अँट पाए

    यों सारी उम्र बिता दें

    दो बारिशों के बीच तो भी कम पड़े।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दो बारिशों के बीच (पृष्ठ 26)
    • रचनाकार : राजेंद्र धोड़पकर
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1996

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए