हाथ देखने की कविता

hath dekhne ki kawita

नवारुण भट्टाचार्य

नवारुण भट्टाचार्य

हाथ देखने की कविता

नवारुण भट्टाचार्य

और अधिकनवारुण भट्टाचार्य

    मैं सिर्फ़ कविता लिखता हूँ

    इस बात का कोई मतलब नहीं

    कइयों को शायद हँसी आए

    पर मैं हाथ देखना भी जानता हूँ।

    मैंने हवा का हाथ देखा है

    हवा एक दिन तूफ़ान बनकर सबसे ऊँची

    अट्टालिकाओं को ढहा देगी

    मैंने भिखारी बच्चों के हाथ देखे हैं

    आने वाले दिनों में उनके कष्ट कम होंगे

    यह ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता

    मैंने बारिश का हाथ देखा है

    उसके दिमाग़ का कोई भरोसा नहीं

    इसलिए आप सबके पास ज़रूरी है

    एक छाते का होना

    स्वप्न का हाथ मैंने देखा हैं

    उसे पकड़ने के लिए तोड़नी पड़ती है नींद

    प्रेम का हाथ भी मैंने देखा है

    चाहते हुए भी वह जकड़े रहेगा सबको

    क्रांतिकारियों के हाथ देखना बड़े भाग्य की बात है

    एक साथ तो वे कभी मिलते ही नहीं

    और कइयों के हाथ तो उड़ गए हैं बम से

    बड़े लोगों के विशाल हाथ भी मुझे देखने पड़े हैं

    उनका भविष्य अंधकारमय है

    मैंने भीषण दुख की रात का हाथ भी देखा है

    उसकी भोर हो रही है

    मैंने जितनी कविताएँ लिखी हैं

    उससे कहीं ज़्यादा देखे हैं हाथ

    कृपया मेरी बात सुनकर हँसें नहीं

    मैंने अपना हाथ भी देखा है

    मेरा भविष्य आपके हाथ में है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देश (पृष्ठ 60)
    • रचनाकार : नवारुण भट्टाचार्य
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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